प्राचार्य
मानवजाति का सबसे बड़ा कार्य अब स्वयं को बचाना है। इंसान ने ऐसी-ऐसी चीजों का आविष्कार कर लिया है कि उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। उसने पृथ्वी, समुद्र, आकाश और हर चीज का पता लगा लिया है लेकिन वह खुद का पता नहीं लगा पाया है। जो व्यक्ति अपनी गहराई को समझने में सक्षम है, उसके पास बीमारी, विघटन, संकट और मृत्यु की स्थिति में खुद को बचाने के लिए अपने चरित्र और भाग्य का निर्माण करने के तरीके हैं। वह मानवजाति को बचाने में सक्षम है। हमारा संघर्ष हमारी अपनी कमज़ोरियों- हमारे अहंकार, ग़लतफ़हमी, अनावश्यक चाहतों के विरुद्ध है। आइए स्वयं को जानने के लिए, अपने जीवन का पालन-पोषण करने वालों के प्रति आभारी होने के लिए मानव से परमात्मा तक की यात्रा शुरू करने की शपथ लें। प्रकृति और मानव जाति को बचाने के लिए।